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मैं चाहता हूं कि मेरे देश की बेटियां अब गुड़िया नहीं, कलम और किताब मांगें

कैसे हैं साथियों? बहुत दिनों से मैं आपके बीच एक बात रखना चाहता था। इसके लिए मैंने कई बार इरादा किया और कई बार बदला। मैंने इरादा इसलिए बदला, क्योंकि मैं सोच रहा था कि कहीं मेरा मखौल तो नहीं उड़ाया जाएगा! आखिरकार मैंने तय किया कि यह बात कहनी चाहिए। यदि इसके एवज में मेरा मखौल उड़े तो उसके लिए मैं तैयार हूं। आज मैं आपको मेरे जीवन की एक घटना बताना चाहता हूं। शायद 2004 या उससे कुछ पहले की बात है। मैं मेरे गांव कोलसिया के जिस राजकीय विद्यालय में पढ़ता था, वहां एक छोटी लाइब्रेरी भी थी। मैं वहां से एक किताब लेकर आया जिसमें बहुत ही खूबसूरत कहानी थी। कहानी कुछ इस तरह थी कि किसी देश में एक बच्चा बेहद मुश्किल हालात में पढ़ाई कर रहा था। उसकी आर्थिक स्थिति बहुत खराब थी। किताबें खरीदने के लिए पैसे नहीं थे। सर्दियों का मौसम उसे बहुत परेशान करता था क्योंकि जो इकलौता पुराना कोट वह पहना करता, कई जगहों से फट चुका था। बहुत मुश्किल हालात में भी उसने इरादा नहीं बदला। अध्ययन के प्रति उसका रुझान कम नहीं हुआ। उसे तकलीफ में देख एक औरत ने उसकी मदद करनी चाहिए। एक रोज वह ​कुछ किताबें और कुछ रकम (शायद 20 डॉलर

हर विद्यार्थी के लिए उपयोगी है 'आपणी पोथी' की सामान्य हिंदी

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पुस्तक: असली सामान्य हिंदी । लेखक: डॉ. रोशन वर्मा । प्रकाशक: आपणी पोथी, सीकर रोड, नवलगढ़, जिला- झुंझुनूं (राज.)-333 042 । फोन नं.: 9887 803 616 और 9414 362 312 । पृष्ठ संख्या: 376 । मूल्य: 200 रुपए।  हिंदी यानी हिंदुस्तान की धड़कन, वह जरिया जो हमें आपस में जोड़ता है। आज पूरे विश्व में हिंदी की धाक बढ़ रही है, परंतु आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि हिंदी बोलने, पढ़ने और समझने वाले हजारों या इससे कहीं ज्यादा लोग प्रतियोगी परीक्षाओं में इसीलिए असफल हो जाते हैं क्योंकि उनकी हिंदी ठीक नहीं होती।  इसका एक प्रमुख कारण यह भी हो सकता है कि विद्यालय स्तर पर ही कई विद्यार्थी हिंदी को ज्यादा गंभीरता से नहीं लेते। हिंदी व्याकरण पर वे ज्यादा ध्यान नहीं देते। यह अनदेखी उन्हें बाद में परेशान करती है जब वे प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठते हैं और एक के बाद एक परीक्षाओं में असफल हो जाते हैं। वे गणित, अंग्रेजी, विज्ञान, सामान्य ज्ञान जैसे विषयों में तो अच्छा प्रदर्शन करते हैं परंतु हिंदी में गलतियों की वजह से नतीजों में उन्हें निराशा ही हासिल होती है।  राजस्थान के नवलगढ़ शहर के 'आपणी पोथ

क्यों होता है सिलियक रोग या गेहूं से एलर्जी? डॉ. राजीव नागर से जानिए सावधानी और उपचार

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Image Courtesy: PixaBay अन्न में गेहूं को राजा माना गया है। यह हमारे शरीर को पुष्ट करता है। गेहूं में मौजूद पौष्टिक तत्व तन और मन को शक्ति देते हैं। दुनिया के कई देशों में लोग गेहूं को अपने भोजन में शामिल करते हैं। यह कैल्शियम, आयरन, विटामिन, थायमिन और फाइबर से भरपूर होता है, जो अनिद्रा, घबराहट, चिड़चिड़ापन, व्यवहार में असंतुलन जैसी समस्याओं को दूर रखने में सहायक होते हैं। परंतु यह देखकर आश्चर्य होता है कि कुछ लोगों को गेहूं से एलर्जी होती है।  क्या हैं कारण गेहूं में पाए जाने वाले ग्लूटेन (gluten) प्रोटीन का शरीर में पाचन नहीं होने से यह समस्या पैदा होने लगती है। इसमें मरीज की छोटी आंत (small intestine) की अंदर की परत नष्ट होने लगती है। इसके बाद संबधित व्यक्ति को गेहूं से एलर्जी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। क्या हैं लक्षण प्रभावित व्यक्ति में कई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- दस्त, पेट फूलना, कब्ज, खून की कमी, लंबाई न बढ़ना, नाखून न बढ़ना, चिड़चिड़ापन, सुस्ती, याददाश्त कमजोर होना, हड्डियों में दर्द, अवसाद (depression), बेचैनी महसूस करना और विटामिन 12 की कमी ह

गणित में सरसता और आनंद

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पुस्तक: गणित में सरसता और आनंद । लेखक: लायकराम शर्मा । प्रकाशक: यूनीकॉर्न बुक्स, जे-3/16, दरियागंज, नई दिल्ली-110 002 । फोन नं.: 011-2327 6539, 2327 2783, 2327 2784 । पृष्ठ संख्या: 135 । मूल्य: 64 रुपए।  प्राय: गणित को एक कठिन विषय माना जाता है। इसकी कई वजह हो सकती हैं, लेकिन एक खास वजह है — गणित पढ़ाने के रूखे तौर-तरीके, जो विद्यार्थियों में इस विषय के प्रति रुचि पैदा नहीं करते।  लायकराम शर्मा की पुस्तक 'गणित में सरसता और आनंद' इस दिशा में एक बेहतरीन प्रयास है, क्योंकि उन्होंने गणित के प्रति विद्यार्थियों में रुचि जाग्रत करने की कोशिश की है। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद हर कोई यकीन करेगा कि सच में गणित विषय बहुत सरस है। यह भी बहुत आनंददायक है और इससे घबराने की कोई जरूरत नहीं है। पुस्तक के कुछ अध्याय इस प्रकार हैं जो पाठक की गणित के प्रति रुचि जगाते हैं — गणित, सौंदर्य और सत्य, अंकों का पिरामिड, गणितीय चिह्नों का चमत्कार, पहाड़ों की सरसता, वर्ग करने की सरलतम विधियां, असत्य को ​सत्य सिद्ध करना, अध्यात्म का गणितीय विवेचन, भारत के प्रसिद्ध गणितज्ञ, भाग विधि द

दिव्यात्मा सोहन लाल दूगड़

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पुस्तक: दिव्यात्मा सोहन लाल दूगड़ । लेखक: नलिन सराफ । प्र​काशक: भगत सिंह दूगड़, 405/406, शारदा चैम्बर्स, न्यू मरीन लाइंस, मुंबई-400 020 । फोनं.: 022-2623 1498, 9821 042 840 । पृष्ठ संख्या: 140 । मूल्य: 150 रुपए । राजस्थान की धरती ने देश को अनेक संत-महात्मा, शूरवीर और उद्योगपति दिए हैं। खासतौर पर शेखावाटी को तो इनकी खान कहा जाता है। यहां का फतेहपुर कस्बा अपनी खूबियों में निराला है। यहां 20 जून 1895 को एक अभावग्रस्त परिवार में जन्मे सोहन लाल दूगड़ मानव रत्न थे। यह पुस्तक उन्हीं के जीवन पर आधारित है, जिसकी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए लेखक नलिन सराफ के परिश्रम को सराहा जाना चाहिए। सोहन लाल दूगड़ अर्थाभाव के कारण व्यवस्थित रूप से शिक्षा नहीं पा सके, परंतु उन्होंने अपनी सूझबूझ से ​जीवन में सफलता प्राप्त की। हमारे समाज में प्र​चलित यह उक्ति उन्हीं के लिए बनी है कि सौ हाथों से कमाओ और हज़ार हाथों से दान करो। सोहन लाल दूगड़ इसी कोटि के एक महादानी पुरुष थे।  उन्होंने अपने जीवन में अनेक विद्यालय, प्याऊ, पुस्तकालय आदि खुलवाए। यही नहीं, ब्रिटिश शासन के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियो

पवित्र क़ुरआन, सुगम हिंदी अनुवाद मूल अरबी सहित

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पुस्तक: पवित्र क़ुरआन (सुगम हिंदी अनुवाद मूल अरबी सहित) । अनुवादक: डॉ. मुहम्मद अहमद । प्रकाशक: मधुर संदेश संगम, ई-20, अबुल-फ़ज़्ल इन्कलेव, जामिया नगर, नई दिल्ली - 110 025 । फोन नं.: 011-2695 3327, 0921 235 6332 । पृष्ठ संख्या: 928 ।  क़ुरआन इस्लाम का पवित्र धर्मग्रंथ है, जो मूलत: अरबी भाषा में है। जो अरबी नहीं जानते, उनके लिए अन्य भाषाओं में इसके अनुवाद उपलब्ध हैं। क़ुरआन का हिंदी अनुवाद डॉ. मुहम्मद अहमद ने किया है जो बहुत सहज और सरल है। यह अनुवाद अरबी से उर्दू में मौलाना मुहम्मद फ़ारूक़ ख़ां ने किया था।  डॉ. मुहम्मद अहमद ने सिर्फ शब्दों का अनुवाद नहीं किया है, बल्कि मूल अरबी क़ुरआन के भाव को भी इसमें बरकरार रखा है। इसलिए यह साधारण साक्षर से लेकर विद्वानों तक के लिए पठनीय हो गया है।  पुस्तक की शुरुआत में विषय-सूची के साथ उन घटनाओं का भी जिक्र किया गया है जो उस सूरह में शामिल होंगी। पुस्तक में विस्तृत टीका-टिप्पणी नहीं की गई है लेकिन अनुवाद के शब्दों का चयन इतना सरल है कि अधिक विस्तार की कोई जरूरत नहीं रही। पुस्तक में सिर्फ आयतों का अनुवाद नहीं दिया गया है, बल्

सत्य एवं प्रेरक घटनाएं

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पुस्तक: सत्य एवं प्रेरक घटनाएं । लेखक: भक्त रामशरणदास पिलखुवा । प्रकाशक: गीता प्रेस, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश- 273 005 । फोन नं. : +91-551 - 2333030, 2334721 Ext. 251/250  ।  पृष्ठ संख्या: 191 । मूल्य: 28 रुपए ।  प्रेरक साहित्य प्रकाशन के क्षेत्र में गीता प्रेस एक जाना-पहचाना नाम है। यूं तो इसकी अनेक पुस्तकें पठनीय हैं परंतु 'सत्य एवं प्रेरक घटनाएं' नामक पुस्तक सभी को एक बार जरूर पढ़नी चाहिए। पुस्तक के हर अध्याय में शब्दों का चयन बहुत सोच-समझकर किया गया है और कीमत भी इतनी कि हर पुस्तक-प्रेमी आसानी से खरीद सके।  जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है, इसमें उन घटनाओं का उल्लेख किया गया है जो सत्य हैं, साथ ही प्रेरक भी। लेखक रामशरणदास पिलखुवा ने वर्षों पूर्व सत्य घटनाएं लिखी थीं, जिन्हें बाद में 'कल्याण' पत्रिका में प्रकाशित किया गया। उन्हीं घटनाओं को संगृहीत कर यह पुस्तक तैयार की गई है। पुस्तक के कुछ अध्यायों के नाम इस प्रकार हैं — अशुद्ध आहार का प्रभाव, दो विचित्र स्वप्न, गांव की बेटी अपनी बेटी, कैलास-मानसरोवर में सिद्ध योगी महात्माओं के दर्शन, पूर्वजन्म का अनूठ