क्यों होता है सिलियक रोग या गेहूं से एलर्जी? डॉ. राजीव नागर से जानिए सावधानी और उपचार

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अन्न में गेहूं को राजा माना गया है। यह हमारे शरीर को पुष्ट करता है। गेहूं में मौजूद पौष्टिक तत्व तन और मन को शक्ति देते हैं। दुनिया के कई देशों में लोग गेहूं को अपने भोजन में शामिल करते हैं। यह कैल्शियम, आयरन, विटामिन, थायमिन और फाइबर से भरपूर होता है, जो अनिद्रा, घबराहट, चिड़चिड़ापन, व्यवहार में असंतुलन जैसी समस्याओं को दूर रखने में सहायक होते हैं। परंतु यह देखकर आश्चर्य होता है कि कुछ लोगों को गेहूं से एलर्जी होती है। 

क्या हैं कारण
गेहूं में पाए जाने वाले ग्लूटेन (gluten) प्रोटीन का शरीर में पाचन नहीं होने से यह समस्या पैदा होने लगती है। इसमें मरीज की छोटी आंत (small intestine) की अंदर की परत नष्ट होने लगती है। इसके बाद संबधित व्यक्ति को गेहूं से एलर्जी की समस्या का सामना करना पड़ सकता है।

क्या हैं लक्षण
प्रभावित व्यक्ति में कई लक्षण दिखाई देते हैं, जैसे- दस्त, पेट फूलना, कब्ज, खून की कमी, लंबाई न बढ़ना, नाखून न बढ़ना, चिड़चिड़ापन, सुस्ती, याददाश्त कमजोर होना, हड्डियों में दर्द, अवसाद (depression), बेचैनी महसूस करना और विटामिन 12 की कमी होना। इससे शरीर में अन्य बीमारियां पैदा होने लगती हैं। 

इस बीमारी में करीब 300 से 400 प्रकार के लक्षण देखने को मिलते हैं। हर रोगी की अपनी पारिवारिक पृष्ठभूमि होने के कारण उसके लक्षण भी अलग तरह से उभरकर आते हैं। इसलिए बहुत दिनों तक इस बीमारी का पता नहीं चलता।

ऐसे रोगियों में गेहूं के सेवन से मुख्यत: 3 प्रकार की समस्याएं पैदा होती हैं:

1. गेहूं से एलर्जी
2. ग्लूटेन इनटॉलरेंस
3. व्हीट इनटॉलरेंस 

1. गेहूं से एलर्जी
गेहूं से एलर्जी तब होती है जब शरीर गेहूं में पाए जाने वाले प्रोटीन, एल्बुमीन, ग्लोबुलीन, ग्लाईटीन और ग्लूटेन के प्रति इम्युनोग्लोबीन ई (IGE) एंटीबॉडीज के रूप में विपरीत प्रतिक्रिया दर्शाता है। इसमें ये लक्षण पाए जाते हैं- त्वचा रोग, एजियोडिमा, पैरों में ऐंठन, मरोड़, उबकाई, उल्टी, छाले, श्वास में समस्या, एलर्जी राइनाइटिस। इस प्रकार के रोगियों की रिपोर्ट्स पॉजिटिव और नेगेटिव दोनों हो सकती हैं, पर इनमें लक्षण जरूर मिलते हैं।

2. ग्लूटेन इनटॉलरेंस
सिलियक रोग को ग्लूटेन एंटोपैथी कहते हैं। अब तक इसे ग्लूटेन इनटॉलरेंस कहा जाता था। यह शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र का आनुवंशिक रोग है। इसमें गेहूं में पाया जाने वाला ग्लूटेन प्रोटीन खलनायक की भूमिका निभाता है। यह ग्लूटेन गेहूं ​के माध्यम से जब शरीर में जाता है तो छोटी आंत की internal membrane (villi) को नष्ट करना शुरू कर देता है। छोटी आंत की ये villi भोजन को अवशोषित कर पोषक तत्वों को रक्त प्रवाह में भेजती है। इसके नष्ट होने से पोषक तत्वों का अवशोषण नहीं हो पाता। इसके बाद व्यक्ति गंभीर कुपोषण का शिकार हो जाता है। कभी-कभी इन रोगियों में लक्षण नहीं दिखाई देते, पर रिपोर्ट पॉजिटिव होती है। सिलियक रोग  IGA और IGG एंटीबॉडीज का ग्लूटेन के प्रति दर्शाई गई विपरीत प्रतिक्रिया का परिणाम है। छोटे बच्चों में इस रोग का जल्दी पता चलता है। बच्चों में इसके लक्षण ज्यादा गंभीर नहीं होने के कारण चिकित्सक इसे IBS, फूड एलर्जी, कुपोषण कहते हैं। यूरोप में सिलियक प्रमुख आनुवंशिक रोग है। 

3. व्हीट इनटॉलरेंस
इसमें शरीर का इम्यून सिस्टम शामिल नहीं होता। ऐसा माना जाता है कि यह तकलीफ एंजायम डेफिसिएंशी के कारण होती है। इन रोगियों में लक्षण होते हैं, परंतु इनकी रिपोर्ट नेगेटिव होती है। 

कैसे करें बचाव
ऐसे पदार्थ जिनमें गेहूं व ग्लूटेन हो, उन्हें खाने में नहीं लेना चाहिए। कच्चे फल, सब्जियां आदि खाने चाहिए। समय-समय पर उपवास करना चाहिए। साथ ही प्याज-लहसुन जैसे पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। 

क्या न खाएं
गेहूं, जौ, सूजी, सेवइयां, ब्रेड, चॉकलेट, दूध-जलेबी, टॉफी, बिस्किट, पेटीज, दलिया, प्रोटीन पाउडर, सॉस, आइसक्रीम आदि। इसके अलावा दूध में मिलाकर नाश्ते के वक्त लिए जाने वाले कुछ खास उत्पाद और पेय भी नुकसानदेह माने गए हैं। 

क्या खाएं
चावल, चिवड़ा, साबूदाना, सिंघाड़े का आटा, कुट्टू का आटा, मक्खन, घी, फल-सब्जियां, रसगुल्ले, बेसन, डोसा, चना, चावल के नूडल्स, पेड़ा आदि खा सकते हैं। 

क्या है उपचार
वैसे तो यह एक आनुवंशिक बीमारी है। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान में इसका कोई इलाज नहीं है। वहां सिर्फ गेहूं से परहेज और ग्लूटीन फ्री डाइट पर ज्यादा जोर दिया जाता है। होम्योपैथी में मरीज के संपूर्ण लक्षण देखकर एवं उसकी पारिवारिक पृष्ठभूमि जानकर इस बीमारी को पूर्णतया ठीक किया जा सकता है। होम्योपैथी औषधियों के प्रभाव से मैंने ऐसे कई रोगियों को पूरी तरह ठीक होते देखा है, जो इसे असाध्य मान हिम्मत हार चुके थे। वे पिछले कई वर्षों से गेहूं का सेवन बिना किसी तकलीफ के कर रहे हैं। उनकी टीटीपी रिपोर्ट नॉर्मल है और दवाइयां भी बंद हैं। ऐसे व्यक्ति ठीक होने के बाद सामान्य जीवन जी रहे हैं।

— डॉ. राजीव नागर —
(लेखक दिल्ली व जयपुर में सेवारत होम्योपैथी के विख्यात चिकित्सक हैं। उनसे +91 9829 069 305 नं. पर संपर्क किया जा सकता है। इसके अलावा आप 0141 279 6405 या +91 81073 89305 पर भी संपर्क कर सकते हैं।)

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