दिव्यात्मा सोहन लाल दूगड़
पुस्तक: दिव्यात्मा सोहन लाल दूगड़ । लेखक: नलिन सराफ । प्रकाशक: भगत सिंह दूगड़, 405/406, शारदा चैम्बर्स, न्यू मरीन लाइंस, मुंबई-400 020 । फोनं.: 022-2623 1498, 9821 042 840 । पृष्ठ संख्या: 140 । मूल्य: 150 रुपए ।
राजस्थान की धरती ने देश को अनेक संत-महात्मा, शूरवीर और उद्योगपति दिए हैं। खासतौर पर शेखावाटी को तो इनकी खान कहा जाता है। यहां का फतेहपुर कस्बा अपनी खूबियों में निराला है। यहां 20 जून 1895 को एक अभावग्रस्त परिवार में जन्मे सोहन लाल दूगड़ मानव रत्न थे। यह पुस्तक उन्हीं के जीवन पर आधारित है, जिसकी बेहतरीन प्रस्तुति के लिए लेखक नलिन सराफ के परिश्रम को सराहा जाना चाहिए।
सोहन लाल दूगड़ अर्थाभाव के कारण व्यवस्थित रूप से शिक्षा नहीं पा सके, परंतु उन्होंने अपनी सूझबूझ से जीवन में सफलता प्राप्त की। हमारे समाज में प्रचलित यह उक्ति उन्हीं के लिए बनी है कि सौ हाथों से कमाओ और हज़ार हाथों से दान करो। सोहन लाल दूगड़ इसी कोटि के एक महादानी पुरुष थे।
उन्होंने अपने जीवन में अनेक विद्यालय, प्याऊ, पुस्तकालय आदि खुलवाए। यही नहीं, ब्रिटिश शासन के दौरान कई स्वतंत्रता सेनानियों एवं उनके परिवारों की आर्थिक सहायता की, परंतु उन सबका कहीं जिक्र नहीं किया। सोहन लाल दूगड़ ने विभिन्न विद्यालयों, अनाथाश्रमों में कमरों का निर्माण कराने के बावजूद अपने नाम की पट्टी लगाने से इन्कार कर दिया।
एक बार उनकी मुलाकात प्रसिद्ध विचारक ओशो से हुई। ओशो भी उनकी बातें सुनकर चकित रह गए जब उन्होंने कहा — मैं बहुत ग़रीब आदमी हूं। मेरे पास इन रुपयों के अलावा कुछ भी नहीं है!
यह पुस्तक ऐसे ही महादानी की गाथा है जिनके बारे में जानने वाले फतेहपुर में ही बहुत कम होंगे। सोहन लाल दूगड़ के जीवन की इन्हीं घटनाओं को एकसूत्र में पिरोने का प्रशंसनीय कार्य नलिन सराफ ने किया है। यह एक पठनीय पुस्तक है।
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