हिंसा और तलाक का दर्द झेला पर हार नहीं मानी, अपने दम पर बनीं मशहूर सिंगर
Image - Sita Qasimi FB Page |
दुनिया के कई देशों में महिलाओं की स्थिति बहुत दयनीय है। वहां उनके अधिकारों का सम्मान नहीं किया जाता और उन्हें बुरे हालात का सामना करते हुए ज़िंदगी बितानी पड़ती है। शायद इसीलिए कवि मैथिलीशरण गुप्त ने लिखा था - अबला जीवन हाय तुम्हारी यही कहानी, आंचल में दूध और आंखों में पानी।
कुछ ऐसा ही अफगानिस्तान की सीता कासमी के साथ हुआ था, जिन्होंने कई बुरे दौर देखे, लेकिन आज वे अपने देश का चमकता सितारा हैं। वे अफगानिस्तान की बहुत मशहूर सिंगर हैं। उनका जन्म 6 अप्रेल 1983 को काबुल में हुआ था।
जैसा कि आप जानते हैं, अफगानिस्तान बुरी तरह से आतंकवाद से पीड़ित है। आज तक वहां खूनखराबे का माहौल है जो उस वक्त भी था। ऐसे में सीता कासमी को बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सुकून की तलाश में उनका परिवार पाकिस्तान आ गया लेकिन उनके लिए यहां भी कई समस्याएं तैयार खड़ी थीं।
सीता कासमी के लिए यह दोहरा झटका था, लेकिन बात सिर्फ इतनी ही नहीं है। उन्हें एक बेटा और एक बेटी हुए। इस दौरान उन्हें बहुत प्रताड़ित किया जाता था। फिर उनका तलाक हो गया। अब सीता कासमी को अपनी ज़िंदगी दोबारा नए सिरे से शुरू करनी थी।
वे छोटे-मोटे कार्यक्रमों में गाने लगीं। वहां उनकी आवाज को बहुत सराहा गया। एक बार किसी कार्यक्रम में कैमरामैन ने उन्हें सलाह दी कि इस कला को आगे बढ़ाएं और नई तकनीकी का इस्तेमाल करें।
उन्होंने कैमरामैन की सलाह मानी तो उसके अच्छे नतीजे सामने आए। सीता कासमी के एल्बम हिट होने लगे और वे अफगानिस्तान, पाकिस्तान, भारत, बांग्लादेश सहित पूरी दुनिया में मशहूर हो गईं। उनके प्रशंसक उन्हें कई देशों से निमंत्रण भेजने लगे। सीता कासमी की यह कहानी हमें बताती है कि ज़िंदगी के बुरे दौर में निराश नहीं होना चाहिए, क्योंकि हो सकता है किसी नए मोड़ पर आशा की सुनहरी किरण हमारा इंतजार कर रही हो।
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